एंकर- नमस्कार,आदाब मैं हूँ आपकी दोस्त "अरुणिमा नारद" दशहरा के शुभ अवसर पर हम आपको मिलवाने जा रहे है "लंकापति रावण" से....
दोस्तों अज्ञात वजहों से वो हमारे स्टूडियो में नही पधार पाए है इसलिए हम फ़ोन पर उनसे बात चीत करेंगे......
एंकर- तो बताईये "लंका नरेश जी "कहाँ है आज कल आप ?
लंका नरेश- हँसते हुए (हाहाहा) मैं तो सभी जगहों पर हूँ।
एंकर- सभी जगह का क्या मतलब,थोड़ा हमारे दर्शकों को समझाइये।
लंका नरेश-मैं इस पृथ्वी पर सभी जगह हूँ गावं में,शहर में,विद्यालय व कालेज में,संसद में,विधान सभा में, अस्पताल में,जहाँ-जहाँ इंसान दिखाई देते है वहां-वहां मैं होता हूँ ।
एंकर-आप इतने जगहों पर एक साथ कैसे होते है?
लंका नरेश- (हा..हा.हा.हा..) आप शायद भूल रही है की मैं दशानन हूँ, "दस सिर वाला" और यहाँ पर मेरे बहुत सारे फ़ालोवर्स भी है जो मुझसे भी बड़े-बड़े काम कर रहे है।
एंकर- ओ हाँ, मैं तो भूल ही गयी थी, दरअसल क्या है की आपने अपना 10 सिर वाला फोटो सोशल साइट्स पर काफी दिनों से अपलोड भी नही किया है।
"दशानन जी" कैसा लगता है जब हर साल हम आपका पुतला हम फूंकते है तो ?
लंका नरेश-(हा..हा.हा.हा..) हसीं आती है ।
एंकर-क्या....? हंसी आती है यानि की आप हमारी आस्था का मजाक उड़ा रहे है ?
लंका नरेश-अरे नही ,,,,मैं भला आप लोगों की आस्था का मजाक क्यों उड़ाउंगा।
एंकर-आप ही तो कह रहे है जब लोग आपका पुतला जलाते है तो आप को हंसी आती है,मजा आता है,ये मज़ाक नही तो और क्या है ?
लंका नरेश- (हा..हा.हा.हा..) मुझे हसीं इसलिए आती है क्योंकि रावण का पुतला हर बार दूसरा कोई रावण ही जलाता है।
एंकर- दूसरा रावण।
आप कहना चाहते है की हम सब रावण है......वो कैसे ?.....जरा खुल के हमारे दर्शकों को बताइए...
लंका नरेश- नही-नही,आप लोग रावण हो ही नही सकते।
मैंने यानि की रावण ने सीता का हरण किया तो मैं बुराई का प्रतीक बना दिया गया।अरे... ये भी तो जानो मैंने सीता को सबसे उत्तम स्थान "अशोक वाटिका" में रखा था। उन्हें हाथ लगाना तो दूर दूषित निगाहों से देखा तक नही था।और यहाँ पर तो लोग छोटी बच्चियों, नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार कर उसे जिंदा जला देते है ।
एंकर-आप क्या कहना चाहते है...जरा हमारे श्रोताओं को खुल कर बताइए...
लंका नरेश- जी ज़रूर....आज कल रावण का पुतला सिर्फ highlight होने, सोशल मीडिया पर Viral होने, पब्लिक में अपनी डिमांड बढाने की लिए, अपना प्रचार-प्रसार करने के लिए जलाया जा रहा है।
एंकर-तो जब हम हर साल आपको जला देते है तो आप वापस क्यों और कहाँ से चले आते हो ?
लंका नरेश- (हा..हा.हा.हा..)....मैं कभी यहाँ से गया ही नही था.....मैं तो हमेशा से यहीं पर हूँ तो वापस आने की बात ही कहाँ से आई ।
एंकर-गए ही नही थे....... लेकिन हम तो हर साल आपका पुतला फूंकते है।
लंका नरेश- हाँ,अब आपने सही पकड़ा....
आप लोग हर साल मेरा पुतला फूंकते हो क्योंकि आपने रावण को बुराई का प्रतीक मान लिया है।आप लोग बुराई को नही मारते हो बल्कि उसके प्रतीक को जलाते हो,बुराई को आपने जलाया ही नही उसे तो आप पाल रहे हो।
नही समझे,,,ये आमिर खान ने थ्री इडियट फिल्म में डेमो से समझाकर सभी को डेमो और उदहारण से समझाने का चलन शुरू कर दिया है। मैं आपको समझाता हूँ......
मानो आप कहीं जा रहे हो और वहां सड़क पर बिजली की बहुत सारी तार फैली हुई है और वहीं खतरा का निशान/प्रतीक बना हुआ है तो आप बिजली से बचाव के लिए उस प्रतीक को मिटाओगे या फिर अपना बचाव करोगे या फिर प्रत्येक साल उस प्रतीक को खतरे के चिन्ह का पुतला फूँकोगे ..वही आप लोग भी कर रहे हो ।
अगर रावण को बुराई का प्रतीक आप सब ने माना है तो प्रतीक से पहले बुराई को ख़त्म कीजिये प्रतीक स्वयं नष्ट हो जायेगा । आप लोग बुराई को पालते और प्रतीक को जलाते हो......
आये दिन मैं सुनता हूँ...नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसे जिंदा जलाया,अपहरण,चोरी,हत्या,लूट-पाट,जायदाद के लिए अपनों की हत्या,भ्रूण हत्या।इन सब में से बहुत से पाप तो मैंने कभी किया ही नही था।फिर भी आप लोग मुझे बुराई का प्रतीक मान कर मेरा पुतला हर साल जलाते हो और जो समाज में व्याप्त बुराईयां है,कुरीतियाँ फैली हुई है,उनका दहन करने के वजाय उनको बढ़ावा देते हो और जो बुरे काम करने वाले लोग हैं उन्हें आप कभी माला पहनते हो,उनका सम्मान दिवस मनाते हो,उनकी तारीफ करते हो या यों कहें की उनको आप लोग पाल रहे हो।
लंका नरेश भावुक होकर बोले...
मेरे देह को मुक्ति उसी समय मिल गयी थी जब "मर्यादा पुरुषोतम प्रभु श्री राम जी" ने मेरा वध किया था लेकिन मेरे पुतले को अभी तक मुक्ति नही मिल पायी है। मेरे पुतले को मुक्ति उस दिन मिलेगी जिस दिन जब कोई श्री राम चन्द्र स्वरुप या उनके सिद्धांतो,आदर्शो और नीतियों पर चलने वाला व्यक्ति मेरे पुतले का दहन करेगा।
जिस तरह आप लोग साल भर दशहरा का इंतजार करते हो और मेरा यानी की रावण का पुतला फूंकते हो उसी तरह मैं भी कई वर्षो से श्री राम स्वरुप या उनके आदर्शों पर चलने वाले व्यक्ति के हाथों दहन होने का इंतजार कर रहा हूँ तभी जाकर मुझे यानि मेरे पुतले को मुक्ति मिलेगी ।
एंकर- जी सही कहा दशानन जी आपने।
तब तक रुकते है एक छोटे से ब्रेक के लिए....."लंका नरेश"बिच में रोकते हुए...अरे अभी आप कहीं मत जाइए नही तो लोग चैनल बदल लेंगे।
एंकर-ओके.... ब्रेक कैंसिल। तो दशानन जी आप हमारे दर्शकों से कुछ कहना चाहेंगे ।
लंका नरेश रावण- (हा..हा.हा.हा..) हाँ ज़रूर,,,,,अगर रावण को बुराई का प्रतीक माना है तो पुतला जलाने से पूर्व आप सभी अपने अन्दर के बुराई का नाश करो, बुराई के प्रतीक को जलाने से बेहतर है की बुराइयों का खात्मा करो,प्रतीक स्वयं ही नष्ट हो जाएगा।
एंकर- इस दशहरा आप भी अपने अन्दर की बुराइयों को जलाइए, रावण का पुतला तो सभी जलाते है।
चलती हूँ फिर जल्द मिलूंगी Fun with Message मे।
Team Udan
Harshit M.Tripathi
उड़ान,द रियल स्टोरी शो@Fun with Message