इसी दिन दो फूल खिले थे,जिनसे महका हिन्दुस्तान।
एक का नारा अमन चैन था,एक का नारा "जय जवान-जय किसान"।
गाँधी केवल एक नाम ही नही है अपितु गाँधी है एक महान दार्शनिक और उनका पूरा जीवन है एक दर्शन-शास्त्र। वे एक युग के प्रणेता परिवर्तक है। आदर्शवादिता के आदर्श है। परिपूर्ण व्यक्तित्व के व्यक्ति है गाँधी। उनके जीवन का हर फलसफा अपने आप में एक पूर्ण अध्याय है, एक पूर्ण ग्रन्थ है या फिर यों कहें की उनका पूरा जीवन ही एक वृहद्-शास्त्र है।
दूसरी तरफ शास्त्री जी एक प्रेरणा है, एक आदर्श है,एक उत्साह हैं, एक जोश है सामाजिक समानता को नापने की,सामंजस्य को एक सूत्रता में पिरोने की एक मजबूत कड़ी है। अदम्य साहस और परिश्रम की मिसाल हैं, जिनका नारा ही है-"जय जवान,जय किसान। "हमारे भारत का गर्व है-श्री लाल बहादुर शास्त्री।
गाँधी व शास्त्री जन्मजात "गाँधी जी" तथा "शास्त्री जी" नही बन जाते हैं।उन्हें "राष्ट्रपिता" और "भारत के लाल" की उपाधि मिली अपनी प्रगतिवादी विचारों से,कठोर परिश्रम से, तथा स्व-परिचित अनुभवों से,कार्य को परिलक्षित करने के अपराजय साहस से।
क्या आजकल की किसी व्यक्ति में इतनी विशेषतायें,ऐसा साहस,ऐसा जीवन दर्शन,ऐसे महान विचार,ऐसी आदर्शवादिता,इतनी धैर्य,इतनी अनुभवशीलता है की वह इतनी उच्च उपाधियों से विभूषित किया जा सके। क्या इन महान विभूतियों के समक्ष या समान कोई प्रतिस्थापित किया जा सकता है ?
जरा सोचिये.....
दर्शना अर्जुन "विजेता"
Team Udan
उड़ान,द रियल स्टोरी शो@जरा सोचिये