आज गांधी जी को सब पूजते है परन्तु पूछता कोई नही। भवनों,स्कूलों-दफ्तरों में फोटो सब लगाते है परन्तु श्रद्धा से सिर कोई नहीं झुकाता। अहिंसा की कसमें सब आसानी से खा लेते हैं परन्तु लड़ना-झगड़ना और हथियार कोई नहीं छोड़ता। उनके आदर्शों की सब बातें करते है परन्तु आदर्शवादी कोई नही बनता। उनकी तरह स्वच्छ रहने और स्वछता रखने के दूसरों को उपदेश सब देतें है परन्तु स्वयं सफाई कोई नही करता / रखता।
सादा जीवन उच्च विचारों का पालन सब के वश की बात नही।सत्य बोलो का उदघोष केवल दूसरों के लिए होता है झूठ का पुलिंदा लिए घुमते है। खादी-पहनो,स्वदेशी का इस्तेमाल करो, केवल जुमले पुरे करने के लिए ही होता है। सदैव दूसरों के साथ आदरणीय व सम्मानीय व्यवहार की सीख देने वाले "गाँधी जी"का कोई भी जाने-अनजाने में अपमान कर देता है।
तो क्या "गाँधी जी" केवल एक प्रतिमा,एक तस्वीर,एक आडम्बर, एक छदम-छाया,एक विस्मृत व्यक्तित्व बन कर सिर्फ इतिहास की किताबों का एक खोया हुआ अध्याय बन कर रह गए है------?
या उन्हें एक शाश्वत सत्य की तरह हमारे मनसा,वाचा,कर्मणा,बनाकर जीवन में आत्मसात करने की अत्यन्त आवश्यकता है-----?
जरा सोचिये......
दर्शना अर्जुन " विजेता"
Team Udan
उड़ान" द रियल स्टोरी शो" @ जरा सोचिये