कोई राह आसान नही है ना है कुछ भी मुश्किल,गर ललक है पाने की तो मंजिल मिलेगी निश्चित

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10 October 2022

दोषी कौन ? (पुरुष प्रताड़ना) जरा सोचिये....

ये क्या स्त्रियों की तरह रोना-धोना लगा रखा है ? ऐसे क्या स्त्रियों की तरह हाथ मटका-मटका कर बातें कर रहे हो ? अरे ऐसे कैसे औरतों की तरह लहरा कर चल रहे हो ? जब देखो तब औरतों की तरह लड़ाई–झगड़े पर उतारू रहते हो ? क्यों एक पत्नी की तरह व्यवहार कर रहे हो ? रसोई में खाना बनाना तुम्हारी माँ-बहन-पत्नी का कार्य है तुम यह स्त्रियों वाले कार्य क्यों करते हो, एक लड़का होकर बी एक नचनिया की तरह क्यों नाचते हो ? ये देखो दोनों दोस्त कैसे औरतों की तरह चुगलियाँ कर रहे है ? अपनी बहन से इतनी इर्ष्या करते हो-क्या तुम्हे भी उसके जैसे अधिकार पाने के लिए लड़की बनना मंज़ूर है ? क्रीम-पाउडर लगा कर गोरा बनकर क्या कोई "मिस इंडिया" का ख़िताब जीतना है ? कपड़ो के मामले में इसकी पसन्द बिलकुल लड़कियों वाली है। इसकी आवाज़,चाल-ढाल,तौर-तरीकें बिल्कुल औरतों की तरह है --आदि-आदि। ऐसे कितने ही ताने-उलझने है जो लडको को अक्सर परिवार जनो, रिश्तेदारों, यार-दोस्तों से सुनने एवं अनावश्यक तौर पर झेलने पड़ते है । क्या यह पुरुष प्रताड़ना की श्रेणी में नही आते है---? 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व जीव विज्ञान के गहन अध्ययन से यह अकाट्य तथ्य पता चला है कि-एक ही शरीर में स्त्री-पुरुष के गुण समान रूप से विद्यमान रहते है । जन्म लेने के बाद में केवल जननांगो में विभिन्नता-स्वरुप ही स्त्री-पुरष लिंग का निर्धारण होता है । तत्पशचात उन्ही लिंगी गुणों के प्रारंभिक व अत्यधिक विकास के अभ्यास के कारण मनुष्य स्त्री लिंग या पुलिंग के रूप को प्राप्त करता है। विकासावस्था के चरणों में अगर पुरुषो में स्त्रियों के कुछ गुण अगर आ भी जाते है तो क्या वह प्रताड़ना का कारण बनना चाहिए----?

क्या इसके लिए पुरुष वास्तव में दोषी है जो उसे इतनी प्रताड़ना, इतना अपमान या समाज की इतनी अवहेलना झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है--?

जरा सोचिये....

Team Udan 

दर्शना अर्जुन"विजेता"

उड़ान,द रियल स्टोरी शो @जरा सोचिये